हर तरफ इन दिनों हर तरफ Pushpa-2 का क्रेज देखने को मिल रहा है। फिल्म में अल्लू अर्जुन की एक्टिंग हर किसी भी पसंद आ रही है। इसके अलावा फिल्म में उनका एक सीन लगातार सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल फिल्म में एक्टर जात्रा में साड़ी और चूड़ियां पहने हिस्सा लेते नजर आ रहे हैं। आइए जानते हैं पुष्पा(Gangamma Jatra) के इसे लुक के पीछे की कहानी।
देशभर में इस समय पुष्पा का फायर देखने को मिल रही है। रिलीज होने के साथ ही अल्लू अर्जुन (Actor Allu Arjun) की फिल्म पुष्पा-2 (Pushpa 2 The Rule movie) दुनियाभर में कमाल कर रही है। फिल्म को दर्शकों की तरफ से भर-भरकर प्यार मिल रहा है। एक्टिंग से लेकर फाइटिंग सीन्स और फिल्म की स्टोरी लाइन तक, लोगों को सबकुछ बेहद पसंद आ रहा है। कुछ लोग जहां एक्टर अल्लू अर्जुन की तारीफ करते नजर आ रहे हैं, तो वहीं कई लोगों को शेखावत यानी अभिनेता फहद फासिल का किरदार काफी भा रहा है। इन सबके अलावा एक और चीज हैं, जिसने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं फिल्म में अल्लू अर्जुन के एक खास लुक की, जिसे न सिर्फ लोग पसंद कर रहे हैं, बल्कि उनके इस लुक के बारे में जानने के लिए भी काफी उत्सुक है। असल में फिल्म में अल्लू एक सीन में साड़ी और हाथ में चूड़ियां पहने, आंखों में काजल लगाए और गले में नींबू की माला डाले दिख रहे हैं। ऐसे में लोगों के मन में बार-बार यह सवाल आ रहा है कि आखिर अल्लू ने किस वजह से फिल्म में यह लुक लिया और आखिर वह कौन-सी पूजा है, जिसे फिल्म में दिखाया गया है। आइए जानते हैं पुष्पा के इस लुक के पीछे की कहानी-
फिल्म में अभिनेता अल्लू अर्जुन जात्रा में हिस्सा लेते दिख रहे हैं। यह एक वार्षिक उत्सव है, जिसे हर साल पारंपरिक रूप से तिरूपति के स्थानीय निवासियों द्वारा मई के पहले दो हफ्तों में आयोजित किया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें, तो यह उत्सव देवी गंगम्मा( Gangamma Jatra) का समर्पित है, जिन्हें भगवान श्री वेंकटेश्वर की छोटी बहन के रूप में पूजा जाता है। इस उत्सव के दौरान देवी गंगम्मा को भगवान श्री वेंकटेश्वर की तरफ से साड़ी, हल्दी, कुमकुम और चूड़ियाँ जैसी चीजें भेंट में दी जाती है। इस उपहार को 'परिसु' के नाम से जाना जाता है।
क्या है गंगम्मा जात्रा की पौराणिक कथा?
कहा जाता है कि 'पालेगाडु' नाम का एक मुखिया सुंदर महिलाओं को बहकाता था, जिसकी वजह से परेशान होकर कई महिलाओं उनकी क्रूरता के अंत के लिए देवी जगन्माता से प्रार्थना की। तब देवी जगन्माता ने तिरुपति के पास अविलाला गाँव में गंगम्मा के रूप में जन्म लिया। जब वह बड़ी हुई, तो पालेगडु ने उन पर अपनी बुरी नजरें डाली और सबके सामने उनका हाथ खींचकर उनका अपमान किया। इससे क्रोधित होकर, गंगम्मा ने उसे अपना भयावह विश्वरूपम दिखाया, जिससे डरकर वह भाग गया और छिप गया।
मान्यता है कि पालेगडु को बाहर निकालने के लिए देवी गंगम्मा ने 3 दिनों तक अलग-अलग पोशके पहनी और चौथे दिन उन्होंने पालेगडु के मालिक डोरा का रूप लेकर उसे लुभाया और जैसे ही वह बाहर आया, देवी से उसका वध कर दिया। देवी की इस जीत का जश्न हर साल भक्तों द्वारा मनाया जाता है और इस उत्सव के आखिर दिन पुरुष मंदिर में प्रार्थना करने के लिए महिलाओं के रूप में तैयार होते हैं। अपनी फिल्म में अल्लू अर्जुन इसी पुराने रीति-रिवाज में हिस्सा लेते नजर आ रहे हैं।
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